शायरी

किस बात का डर है तुम्हें,
ये कैसा ख़ौफ़ है?
एक बार सजदे में सिर तो झुकाओ,
दिल भी मिल जाएगा, दिल लगाने का दौड़ है।❤️

****************

तुम इकरार तो करो इश्क़ की,
‪एक बात तो करो दिल की,
‪हम इतने भी कमज़ोर नहीं की,
‪दुनिया से लड़ न पाए।

****************

‪फ़ासलो ने रिश्तों को कमज़ोर होने न दिया,
‪दिल है मिले हुए,तभी तो भीड़ में हमे खोने न दिया।
‪मुद्दत्तो बाद मिले है आज और आँखें है नम,
‪तुझसे मिलने की ख़ुशी है और बिछड़ने का भी है ग़म।

****************

फ़ासले कभी ये कम हुए नहीं,
मुक़द्दर में कभी तुम हमे मिले नहीं।
कोसता हूँ हर पल उस विदाई के लम्हें को,
जब रोका था तुम्हें पर तुम रूके नहीं।

****************

ज़िंदा तोवो भी है, जो साँस ले रहे है,
ज़ुल्म के आगे सिर झुकाना, जिंदगी तो नहीं ना।

****************

माना की जीत आसान नहीं है,
पर हार कर बैठना तो कोई हल नहीं है।

****************

सब सो रहे है रात की आग़ोश में,
‪कोई हमे भी गोद में पनाह दे दे,
‪कोई थामे हाथ ज़रा मेरा इत्मिनान से,
‪हम भी किसी पर फ़ना हो ले।

****************

जी लेते हम भी तेरे याद के सहारे,
पर यादों के लिए एक मुलाक़ात ज़रूरी है।

****************

हर रिश्ते का एक नाम हो ज़रूरी तो नहीं,
‪हर इश्क़ का हसीन अंजाम हो ज़रूरी तो नहीं,
‪कुछ रिश्ते होते है भूल जाने के लिए,
‪भूलना आसान हो ऐसी मजबूरी तो नहीं।

****************

मैं ख़ुद को कभी अकेला महसूस नहीं करता,
जाने मैं क्यूँ ख़ुद से इतने सवाल करता हूँ?

****************

शहर को जाने क्या हुआ है?
शोर क्यों इतना है?
कल तक गलियों में सन्नाटा था,
आज भीड़ क्यों इतना है?

****************

आशिक हूँ, दिल की बात समझ आती है,
वरना दिमाग़ चलाना हमें भी आता है।
डरते है हसीनों की बेवफ़ाई से,
वरना दिल लगाना हमें भी आता है।

****************

ये मुलाक़ात तस्वीरों में नहीं,
क़िस्सों में कैद होनी चाहिये।
ये शाम क़िस्सों में नहीं,
तस्वीरों में क़ैद होनी चाहिये।

कविताओं का सफर

 

कविताओं का सफर

लिखने का अगर शौक हो तो ना जाने कब ये आदत बन जाती है। कविताओं से ऐसा लगाव हो जाता है की आप ऐसे सफर पे चल पड़ते है, जिस सफर की मंजिल तय नही होती।

POETRY IS A NEVER ENDING JOURNEY.

इस सफर पे एक ख्वाहिश जरूर होती है। ख्वाहिश बेहतर लिखने की, हर रोज पिछले दिन से और भी अच्छा लिखने की। हर रोज कुछ नया सीखने की और फिर उन एक-एक शब्द को एक कविता का रूप देने का दिल करता है। इसमें मिलने वाली खुशी को बयान करना बेहद मुश्किल है।

शब्दों के साथ खेलते-खेलते कब इन कविताओं से प्यार हो जाता है, पता ही नही चलता। ऐसे ही अपने अनेको कविताओं के संग्रहालय से कुछ कविताओं को किताब का रूप कुछ इस तरह दूँगा।

images-5

कविताओं के साथ अपने आने वाली किताब में कुछ प्रयोग कर रहा हूँ। इस सफर को पूरा करने में इस कविता का बहुत बड़ा योगदान है। इससे मुझे हौसला मिलता है।

चलो एक बार हम तक़दीर से खेलते है।

चलो जीत का एक दाँव खेलते है,
हारी हुई बाजी एक बार फिर खेलते है।
उम्मीदो का दामन कई बार छोड़ा हमने,
पर चलो एक बार हम तक़दीर से खेलते है।

खुदगर्ज दुनिया छोड़ के, चलो आगे चले,
वफादारी ढूँढ लो जरा, और आगे बढ़े।
लक्ष्य तक पहुँचने तक, हम यूँ रूके नही,
हार को हराने तक, हम कभी झुके नही।

बस यूहिं चलते रहो, मंजिल के पहुँचने तक,
साथ यूहिं बना रहे, जीत को चूमने तक।
है कठिन राह ये, और कुछ भी सरल नही,
मन मे ठान लो जरा, तो जीत से हम परे नही।

                                             ~ सुब्रत सौरभ