P001 – चलो एक बार हम तक़दीर से खेलते है।
चलो जीत का एक दाँव खेलते है,
हारी हुई बाजी एक बार फिर खेलते है।
उम्मीदो का दामन कई बार छोड़ा हमने,
पर चलो एक बार हम तक़दीर से खेलते है।
खुदगर्ज दुनिया छोड़ के, चलो आगे चले,
वफादारी ढूँढ लो जरा, और आगे बढ़े।
लक्ष्य तक पहुँचने तक, हम यूँ रूके नही,
हार को हराने तक, हम कभी झुके नही।
बस यूहिं चलते रहो, मंजिल के पहुँचने तक,
साथ यूहिं बना रहे, जीत को चूमने तक।
है कठिन राह ये, और कुछ भी सरल नही,
मन मे ठान लो जरा, तो जीत से हम परे नही।
~ सुब्रत सौरभ
Like this:
Like Loading...