“कौन पढ़ता है आजकल हिंदी में?”
“हिंदी की कविता कौन पढ़ेगा?”
ये सिर्फ़ दो वाक्य नहीं थे? ये एक कोशिश थी की कैसे मेरे हौसलों को पूर्ण विराम लग जाए?
बचपन से ही मुझे लिखने का शौक़ था। मैं बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर शहर से हूँ और कभी सोचा नहीं था की मेरी किताब विश्व भर में उपलब्ध होगी और उसे इतना प्यार मिलेगा। अच्छा लगता है ये सोच कर की जो चीज़ें मैंने देखकर या सुनकर या फिर महसूस कर के लिखी है, वो दुनिया के सामने अंतरराष्ट्रीय तौर पर एक किताब के रूप में आई है। जब पिछले साल कुछ दोस्तों और मेरी पत्नी ने मुझे किताब छापने की सलाह दी तो मुझे हँसी आ गई थी। मगर अब मैं उनके सुझाव का आभारी हूँ।
आख़िर क्या है “कुछ वो पल” और क्या है उन ५० कविताओं का सफ़र? एक युवा लड़के की कहानी है जो कविताओं के क्रम में कही गई है। हम सबने जीवन में कभी ना कभी किसी से प्यार किया है। कभी ये प्यार एक कठिन रास्ता होता है और कभी एक सुखद एहसास, कभी प्यार से बेहद हताशा होती है और कभी गर्व होता है। ऐसे ही बहुत सारे एहसासों को महसूस कर के या देखकर या फिर सुनकर उन्हें कविताओं का रूप दिया गया है।
प्यार के अनेकों अच्छे या मुश्किल पलो को मिला के ये “कुछ वो पल” बन गया।
“वो हज़ारों में एक है, मेरी मोहब्बत का वो इनाम है,
वो इम्तिहान है मेरे सब्र का, इसीलिए चर्चा सरेआम है।”
ये पंक्ति जब लिखी थी तब सोचा नहीं था की ये इतना पसंद किया जाएगा। किताब में लिखी कविताएँ क्रम में छपी ज़रूर है मगर ये उसी क्रम में लिखी नहीं गई थी। अलग अलग माहौल और भावनाओं में गुज़रते और महसूस करते हुए एक-एक कविता को लिखा गया था। कॉलेज के हॉस्टल में बिताए गए पल कों, दोस्तों के साथ रात में बैठी महफ़िल को, ग़ुस्से में प्रेमिका से दोबारा बात न करके की धमकी को, ऑफ़िस के व्यस्त माहौल में त्यौहारों पर घर न जाने वाले ग़म को, प्यार को याद कर के अंधेरे में रोते हुए बिताए गए वक़्त को, बाँहों में बाँहें डाल कर मीठी बातें करने वाले उन लम्हों को अगर आप भूल गए है तो ये मेरी एक कोशिश है की उन पलो को मेरी कविताओं के द्वारा एक बार फिर से आप जी सके। एक बार फिर से महसूस कर के देखिए, अच्छा लगेगा।
ऐसा नहीं है की सभी लोगों ने मेरे किताब को सराहा है। कुछ लोगों को शायद पसंद नहीं आई और उन्होंने आलोचना की। ये ज़रूरी भी है। रचनात्मक आलोचना आपको बेहतर सोचने और लिखने के लिए प्रेरित करता है।
मुझे बेहद ख़ुशी होती है जब अपनी किताब को बेस्ट सेलर के लिस्ट में देखता हूँ या फिर उसे प्रकाशक के वेबसाईट में नम्बर १ पे ट्रेड करता हुआ देखता हूँ। जब पहली बार मेरी किताब Amazon पे “आउट आफ स्टाक” हुई तो लगा की मेहनत सफल हो गई।जब अंजान पाठक आपको फ़ेसबुक और ट्विटर पर ढूँढ के आपके किताब की सराहना करते है तो हौसला बुलंद हो जाता है। सभी दोस्तों और परिवार वालों का भरपूर साथ और प्यार मिला है। सभी लोगों को धन्यवाद। उन लोगो का भी धन्यवाद जिन्होंने मेरे विश्वास और इस सफ़र में अपना साथ नहीं दिया है।
“बात बस इतनी सी हैं, करनी ज़रा ग़ौर हैं,
ज़िंदगी से तू चाहता कुछ है और होता कुछ और हैं।”
ये मेरी पहली किताब है और अपनी दूसरी किताब भी लिख रहा हूँ। कविता अपने आप में एक सफ़र होती है, कभी ना ख़त्म होने वाला सफ़र।
आप मेरी किताब “कुछ वो पल” Amazon/ Flipkart/ Kindle/Notion Press इत्यादि पर ख़रीद कर पढ़ सकते है। साथ ही अपना अनुभव और समीक्षा मुझे बता सकते है।
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