
“अनुराग” एक एसी किताब है जो समाज के उस पहलू के बारे में बताती है जिसे छूने के लिये बहुत से लेखक डरेंगे। ये किताब ज्योति जी ने अपने तजुर्बो के आधार पर लिखी है। कहानी बहुत ही खुबसूरत तरीक़े से लिखी गई है जहां अनुराग के जीवन के विभिन्न पहलू को बड़े ही बारीकी तरीक़े से लिखा गया है। हमारे समाज में नारी को देवी का रूप दिया गया है। वहीं ये भी कहा गया है की नारी ही घर को बनाती और बिगाड़ती है। इस किताब की एक विशेष बात यह रही की इसमें हर लम्हों को बड़े इत्मीनान से बताया गया है।
इस समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस दौर से निश्चित तौर पर जुड़े रहे है जिस दौर से अनुराग गुजरा था मगर कितने ऐसे लोग हैं जो इस से लड पाते हैं । बेहद मुश्किल है क्योंकि समाज और क़ानून के दायरों ने पुरूष को मज़बूत और अत्याचारी मान लिया है और महिला को विशेषाधिकार दिया हैं।
मौक़ा निकाल कर एक बार ज़रूर पढ़ें। यह किताब अमेजन पर उपलब्ध है।