खतरों के अंदाजे भर से
दीवारों के दरारों से
कुछ अपने और परायो से
इतना सब कुछ सीखा है।
कुछ टूटी फूटी सड़को से
कुछ लड़खड़ाते कदमों से
कुछ मंजिल की लालच से
इतना सब कुछ सीखा है।
जब थक हार के बैठें थे
जब जंग हार के बैठें थे
फिर गिर के उठना, फिर से चलना
इतना सब कुछ सीखा है।
~ सुब्रत सौरभ
Nice Sir
very well written. keep sharing such post
शुक्रिया 😊 अगर हो सके तो मेरी किताब “कुछ वो पल” पढ़े। ये Amazon पर उपलब्ध है।
an inspiring and motivation lines. but still “Chalo Jeet Ka Daav khelte hai..” is your best lines.
Thanks bro
Powerful poetry 😊 inspiring
Thanks