शायरी

किस बात का डर है तुम्हें,
ये कैसा ख़ौफ़ है?
एक बार सजदे में सिर तो झुकाओ,
दिल भी मिल जाएगा, दिल लगाने का दौड़ है।❤️

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तुम इकरार तो करो इश्क़ की,
‪एक बात तो करो दिल की,
‪हम इतने भी कमज़ोर नहीं की,
‪दुनिया से लड़ न पाए।

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‪फ़ासलो ने रिश्तों को कमज़ोर होने न दिया,
‪दिल है मिले हुए,तभी तो भीड़ में हमे खोने न दिया।
‪मुद्दत्तो बाद मिले है आज और आँखें है नम,
‪तुझसे मिलने की ख़ुशी है और बिछड़ने का भी है ग़म।

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फ़ासले कभी ये कम हुए नहीं,
मुक़द्दर में कभी तुम हमे मिले नहीं।
कोसता हूँ हर पल उस विदाई के लम्हें को,
जब रोका था तुम्हें पर तुम रूके नहीं।

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ज़िंदा तोवो भी है, जो साँस ले रहे है,
ज़ुल्म के आगे सिर झुकाना, जिंदगी तो नहीं ना।

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माना की जीत आसान नहीं है,
पर हार कर बैठना तो कोई हल नहीं है।

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सब सो रहे है रात की आग़ोश में,
‪कोई हमे भी गोद में पनाह दे दे,
‪कोई थामे हाथ ज़रा मेरा इत्मिनान से,
‪हम भी किसी पर फ़ना हो ले।

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जी लेते हम भी तेरे याद के सहारे,
पर यादों के लिए एक मुलाक़ात ज़रूरी है।

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हर रिश्ते का एक नाम हो ज़रूरी तो नहीं,
‪हर इश्क़ का हसीन अंजाम हो ज़रूरी तो नहीं,
‪कुछ रिश्ते होते है भूल जाने के लिए,
‪भूलना आसान हो ऐसी मजबूरी तो नहीं।

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मैं ख़ुद को कभी अकेला महसूस नहीं करता,
जाने मैं क्यूँ ख़ुद से इतने सवाल करता हूँ?

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शहर को जाने क्या हुआ है?
शोर क्यों इतना है?
कल तक गलियों में सन्नाटा था,
आज भीड़ क्यों इतना है?

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आशिक हूँ, दिल की बात समझ आती है,
वरना दिमाग़ चलाना हमें भी आता है।
डरते है हसीनों की बेवफ़ाई से,
वरना दिल लगाना हमें भी आता है।

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ये मुलाक़ात तस्वीरों में नहीं,
क़िस्सों में कैद होनी चाहिये।
ये शाम क़िस्सों में नहीं,
तस्वीरों में क़ैद होनी चाहिये।

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