Missing You

क़सम से, तब तुम्हें मेरी याद आती तो होगी ना?

जब भी ख़ुद की तारीफ सुनने का दिल करता होगा,

जब भी बेवजह किसी को सुनाने का मन करता होगा,

जब भी तुम्हें गोल गप्पें खाने का जी करता होगा,

क़सम से, तब तुम्हें मेरी याद आती तो होगी ना?

 

जब तुम अकेले में खाना खाते होगे!

जब रातों में मेरी बाँहों की जगह तकिये से लिपट जाते होगे,

जब रातों में घबराकर उठ जाते होगे!

क़सम से, तब तुम्हें मेरी याद आती तो होगी ना?

 

जब बिस्तर पर तुम्हें कोई भींगा तौलिया नहीं मिलता होगा,

जब जूते भी अपनी जगह रखे मिलते होंगे,

जब हर चीज़ को अपने ठिकाने पर देखते होगे,

क़सम से, तब तुम्हें मेरी याद आती तो होगी ना?

 

जब महफ़िल में भी अकेलेपन से दिल घबड़ाता होगा,

जब अकसर यादों से दिल भर जाता होगा,

जब कोई पास होकर भी नज़रें चुराता होगा,

क़सम से, तब तो तुम्हें मेरी याद आती होगी ना?

                      ~ सुब्रत सौरभ

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