कविताओं का सफर

 

कविताओं का सफर

लिखने का अगर शौक हो तो ना जाने कब ये आदत बन जाती है। कविताओं से ऐसा लगाव हो जाता है की आप ऐसे सफर पे चल पड़ते है, जिस सफर की मंजिल तय नही होती।

POETRY IS A NEVER ENDING JOURNEY.

इस सफर पे एक ख्वाहिश जरूर होती है। ख्वाहिश बेहतर लिखने की, हर रोज पिछले दिन से और भी अच्छा लिखने की। हर रोज कुछ नया सीखने की और फिर उन एक-एक शब्द को एक कविता का रूप देने का दिल करता है। इसमें मिलने वाली खुशी को बयान करना बेहद मुश्किल है।

शब्दों के साथ खेलते-खेलते कब इन कविताओं से प्यार हो जाता है, पता ही नही चलता। ऐसे ही अपने अनेको कविताओं के संग्रहालय से कुछ कविताओं को किताब का रूप कुछ इस तरह दूँगा।

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कविताओं के साथ अपने आने वाली किताब में कुछ प्रयोग कर रहा हूँ। इस सफर को पूरा करने में इस कविता का बहुत बड़ा योगदान है। इससे मुझे हौसला मिलता है।

चलो एक बार हम तक़दीर से खेलते है।

चलो जीत का एक दाँव खेलते है,
हारी हुई बाजी एक बार फिर खेलते है।
उम्मीदो का दामन कई बार छोड़ा हमने,
पर चलो एक बार हम तक़दीर से खेलते है।

खुदगर्ज दुनिया छोड़ के, चलो आगे चले,
वफादारी ढूँढ लो जरा, और आगे बढ़े।
लक्ष्य तक पहुँचने तक, हम यूँ रूके नही,
हार को हराने तक, हम कभी झुके नही।

बस यूहिं चलते रहो, मंजिल के पहुँचने तक,
साथ यूहिं बना रहे, जीत को चूमने तक।
है कठिन राह ये, और कुछ भी सरल नही,
मन मे ठान लो जरा, तो जीत से हम परे नही।

                                             ~ सुब्रत सौरभ

11 thoughts on “कविताओं का सफर

  1. चलो जीत का एक दाँव खेलते है,
    हारी हुई बाजी एक बार फिर खेलते है।……..this line made my day

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